रत्ती (लालगूंजा)
रत्ती (गुंजा) के विभिन्न नाम
संस्कृत – गुंजा, रक्तिका, काकणन्ती, काम्बोजी,हिंदी – घुंगची, घूंची, घुमची, गूंच,बंगाली – कुंचा
मराठी – गुंच,गुजराती – चणोठी,पंजाबी– रत्ती, लालड़ी,मलयालम – कुंची,फ़ारसी – सुर्ख, चश्मखरोश
अंग्रेजी – Indian or Wild Liquorice
प्रकृति में कई ऐसे अनमोल पेड़-पौधे, फल और बीज पाए जाते हैं जिनके सरल और सहज उपाय से आप अपने जीवन से जुड़ी कठिन से कठिन समस्याओं का निदान कर सकते हैं. ज्योतिष (Astrology) और तंत्र (Tantra) में प्रयोग लाई जाने वाली चमत्कारी गुंजा भी उसी में से एक है. आयुर्वेद (Ayurveda) और ज्योतिष के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली गुंजा मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है. लाल गुंजा, सफेद गुंजा और काली गुंजा. इसे घुंघची, रत्ती या चोंटली भी कहते हैं. आइए धन और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने वाली काली गुंजा के सरल और प्रभावी ज्योतिष उपाय (Astro Remedies) के बारे में विस्तार से जानते हैं.
गुंजा ( रत्ती )का संक्षिप्त परिचय
यह एक लम्बी लता का पौधा है। इसका तना पतला, गोल एवं हरा होता है। इसकी पत्तियां मिली हुई इमली के समान होती है। जिसके दोनों ओर 10 से 20 जोड़ी छोटी छोटी पत्तियां लगी होती है। यह पत्तियां स्वाद में मीठी होती है, इन्हें खाने से गला साफ़ होता है, पुराने जमाने में गायक इन पत्तियों को खाकर गायकी किया करते थे। सितम्बर अक्टूबर के मध्य इसमें पुष्प लगते है। पुष्प गुलाबी अथवा सफेद होते है। इसके फल फलीदार होते है। प्रत्येक फली में अनेक बीज होते है। ये बीज गोल, चिकने, लाल तथा सफेद होते है। प्रत्येक बीज का वजन हमेशा एक रत्ती होता है। इसलिए अति प्राचीन काल से इन बीजों का प्रयोग सोना तोलने हेतु किया जाता रहा है। इस विशेषता के कारण इन्हें रत्ती के बीज कहा जाता है।
गुंजा ( रत्ती) का जोय्तिश उपयोग
गुंजा (Ratti Seeds) का धार्मिक रूप से बहुत अधिक महत्व है। अपनी समस्याओं के समाधान तथा कामनाओं की पूर्ति के लिए किए जाने वाले उपायों में इसके बीजों का अधिक प्रयोग किया जाता है। इसके साथ साथ इसकी जड़ का भी अनेक धार्मिक कार्यो एवं उपायों के लिए प्रयोग किया जाता है। जो व्यक्ति इन उपायों का विश्वास के साथ प्रयोग करता है, उसे अवश्य लाभ की प्राप्ति होती है। मूल रूप से गुंजा की बीज को अत्यंत चमत्कारिक प्रभाव देने वाली माना गया है। इसलिए यहाँ पर इसकी बीजों के कुछ उपयोगी उपाय दिए जा रहे है –
गुरु पुष्य अथवा रवि पुष्य योग में गुंजा (Ratti) की बीज को एक दिन पूर्व निमन्त्रण देकर, दूसरे दिन सूर्योदय के समय निकालकर मौन रहते हुए घर ले आयें। इसे निमन्त्रण देने हेतु जाकर जल चढाएं, कुछ पीले चावल डालें, दो अगरबत्ती लगायें और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि हे माता, मैं कल प्रात: आपको मेरे साथ घर ले जाऊँगा। आप मेरे कल्याणकारी कार्यो को सिद्ध करें। दूसरे दिन प्रात: पुन: ऊपर लिखे अनुसार जल चढाएं, अगरबत्ती लगाएं और फिर बीज को किसी प्राप्त कर लें। मौन रखते हुए इसे घर ले आयें। घर आकर शुद्ध जल अथवा गंगाजल से इसे स्वच्छ कर पौंछ लें। पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर ऊनी अथवा सूती आसन पर बैठ जाएँ। अपने सामने एक बाजोट अथवा पाटा रखें। उसके ऊपर स्वच्छ लाल वस्त्र बिछाएं। उसके ऊपर इस बीज को स्थान दें। अगर सम्भव हो तो बाजोट पर पहले गेहूं की छोटी ढेरी बनाएं और उसके ऊपर बीजको स्थापित करें। इसके पश्चात बीज को अगरबत्ती अर्पित करें। तत्पश्चात अपने इष्ट के किसी भी मन्त्र का एक माला जप करें। जप के बाद प्रणाम करें और आवश्यकतानुसार बीज का प्रयोग करें। इस प्रकार से सिद्ध किया गया बीजअत्यंत प्रभावी होती है। मुख्य रूप से यह प्रयोग धनाभाव की स्थिति को दूर करने के लिए किया जाता है। इसलिए जिन व्यक्तियों पर कर्ज अधिक है और वह उतर नहीं रहा अथवा जिन लोगों का अपना व्यवसाय है किन्तु कुछ प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष कारणों से लाभ कम तथा हानि अधिक हो रही है, वे यह प्रयोग अवश्य करें। बीज को सिद्ध करने के पश्चात इसे लाल रंग के नए वस्त्र में रखकर अपने धन रखने के स्थान पर अथवा अपने गल्ले आदि में रख दें। प्रभु कृपा से शीघ्र ही धनागमन में जो बाधाएं आ रही थी, वे धीरे धीरे दूर होंगी और इसी के साथ आपकी धन सम्बन्धी समस्याएं भी समाप्त होने लगेंगी।
इस बीज के एक छोटे से टुकड़े को किसी कुंआरी कन्या से गंगाजल अथवा किसी कुएं के स्वच्छ जल में पिसवा लें। इस घिसे हुए पेस्ट से तिलक लगाकर जो व्यक्ति जिस कार्य हेतु जाता है, उसका वह कार्य सिद्ध होता है। इसके साथ ही उसे काफी सम्मान भी प्राप्त होता है।
इस बीज को को बकरी के दूध में घिसकर लेप बना लें और इस लेप को नित्य कुछ दिनों तक हथेलियों पर मलें। ऐसा करने वाले व्यक्ति की बुद्धि तीव्र होती है तथा उसकी स्मृति में तेजी से वृद्धि होती है।
शुभ नक्षत्रों में लाल गुंजा (Ratti) के 21 बीज प्राप्त करें। इन्हें श्रद्धा एवं विश्वास से अगरबत्ती दिखाएँ। भगवान श्रीकृष्ण का मानसिक जाप करें और इसके पश्चात इन बीजों को लाल वस्त्र में बांध कर जो स्त्री इसे कमर पर धारण करती है, उसे पुत्र सन्तान प्राप्त होने के अवसर निर्मित होने लगते है।( यह लेख/वेबसाइट किसी भी प्रकार से लिंग भेद का समर्थन नहीं करती है )
लाल गुंजा (Ratti) को स्वच्छ जल में घिस कर माथे पर तिलक लगाने से शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की मेधा शक्ति में वृद्धि होती है, पढ़ा हुआ याद रहने लगता है और स्मरण शक्ति बढती है। ऐसे बच्चे परीक्षा में अच्छे नम्बरों से उत्तीर्ण होते है।
21 लाल गुंजा (Ratti) को काले धागे में पिरोकर बच्चे के गले में धारण करवाने से उन्हें किसी प्रकार की नजर दोष का सामना नहीं करना पड़ता। जिन बच्चों को बार बार नजर लगती है, उनके माता पीता को अपने बच्चे के लिए यह प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
गुंजा (Ratti)का ज्योतिषीय महत्व:
उच्चाटन के लिए लाल रत्ती की जड़ तथा इसका पौधा मंगलवार या शनिवार के दिन जिसके आंगन में लगा दिया जाए तो शीघ्र ही उस आंगन के निवासियों का उच्चाटन होगा।
प्रसव के लिए लाल रत्ती (बीज) की को गर्भिणी नारी के कमर में बाँध दें तो तत्काल प्रसव होगा।
रत्ती के फल लेकर गर्भिणी नारी के केशों में बाँधने से सुख से प्रसव होता है।
पुष्य नक्षत्र युक्त रविवार को गुंजा (Ratti) फल के पौधे की बीज लाकर, नील सूत से एक को कमर में और दूसरी को सिर में बाँध देने से तत्काल प्रसव हो जाता है।
वशीकरण के लिए लाल गुंजा (Ratti) की बीज और पंचमल को एकत्र करके मन्त्र का पाठ करके जिस स्त्री को दिया जाएगा वही वशीभूत होगी।
लाल गुंजा (Ratti) के 21 बीजों को सदैव अपनी शर्ट की जेब में रखने वाले पर मंगल ग्रह का कुप्रभाव नहीं पड़ता है। रात्रिकाल में बीज खूंटी पर टंगे शर्ट में रखे रहने दें।
अगर किसी बच्चे को बार बार नजर लगती है तो 5 या 11 गूंजा लेकर बच्चे के ऊपर से पांच बार उल्टा उतारकर किसी अंगारी या कफीर के साथ जला दें। इसके अलावा लाल गुंजा वर और वधू को भी पहनाया जाता है जिससे की उन्हें बुरी नजर से बचाकर रखा जा सकें।
गुंजा (Ratti) के सुंदर चमकदार लाल अथवा सफेद रंग के बीज फलियों में से निकलते है।
जिनव्यक्तियोंकोमंगलदोषहोउन्हेंलालगुंजा (Ratti) के21 बीजोंकोहरसमयजेबमेंरखनेसेलाभहोताहै।
गुंजा(Ratti): का वास्तु में महत्व
किसी भी प्रकार की गुंजा का घर की सीमा में होना अत्यंत शुभ होता है। इसे घर के पूर्व अथवा उत्तर में रखने से और भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते है। जिस घर में गुंजा की होती है उस घर की सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। वहां आरोग्य स्थिर रहता है तथा समाज में उस परिवार की प्रतिष्ठा में व्रद्धि होती है।
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