उद्देश्य

राहुल एंटरप्राइज़ (A Unit of Rahul Enterprises) संस्थान द्वारा ज्योतिष दैवज्ञों हेतु आखिल भारतीय ज्योतिष Research centre तथा एस्ट्रोलोजिकल Institute की स्थापना कर इसी के अतंर्गत
A Group of Swati Astrology Research Centre( Regd) की स्थापना करके एशिया महादेश सहित संसार के सर्वमान्य ज्योतिष दैवज्ञों से सहयोग लेकर तथा उन्हें शामिल किया जायेगा जो की ज्योतिष विज्ञान के प्रयोगिक अनुसंधानों को गति देने तथा गहन अनुसंधात्मक कार्यकर्मों के क्रियावन्यान हेतु कार्य करेगा तथा प्राचीन वैदिक विधि द्वारा अस्धाय रोगों का उपचार एवं ग्रहों को व्यक्ति विशेष के अनुकुल बनाने का प्रयत्न करेगा उपरोक्त वर्णित कार्य विश्व कल्याणार्थ हेतु किये जायेंगे|

वैदिक औषधालय एवं उपाय सामग्री

Energizes Inner Power, Strengthen Planet, अशुभ ग्रह उपाय ,उत्तम स्वास्थ्य एवं उज्जवल भविष्य

रहस्यवादी लाभ:

  • आंतरिक और मानसिक ऊर्जा को ऊर्जावान बनाता है|
  • आत्मा का शुद्धिकरण (Purification)
  • ग्रह और ऊर्जा असंतुलन
  • खुशी, प्रगति, विकास और कल्याण प्राप्त करने के आपके अवसरों को अनुकूलित करता है|
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इन पेड़ों की जड़ पहनते ही आपके इशारों पर चलने लगेंगे ग्रह, नहीं पड़ेगी किसी रत्न की जरूरत

प्राचीन काल से नवग्रह की अनुकूलता के लिये रत्न पहनने का प्रचलन रहा है। सम्पन्न लोग महंगे से महंगे रत्न धारण कर लेते है। लेकिन इन रत्नों का संबंध ग्रह के शुभाशुभ प्रभाव को बढ़ाने के कारण इनकी माँग और भी ज्यादा बढ़ गई है। परन्तु सभी व्यक्ति इतने सक्षम नहीं होते कि वे ग्रह के आधिकारिक महंगे रत्न पहन सकें। हमारे ऋषि मुनियों ने प्राचीन काल से में ही ग्रह राशियों के आधिकारिक वृक्ष उनके गुण देखकर निर्धारित किये थे।प्रारम्भ में सभी लोगों को महंगे रत्न उपलब्ध नहीं होते थे। तब वे पेड़ की ज ड़धारण करते थे। आज भी कुछ मूर्धन्य सज्जन वृक्ष की जड़ को रत्नों की जगह अपनाते है। रत्नों की तरह ही पेड़ की जड़ भी पूर्ण लाभ देती है। वृक्ष की जड़ पहनने के लिए सर्वप्रथम आपको अपने जन्मनाम की राशि का पता होना चाहिए। और अपनीराशि के स्वामी ग्रह का भी ज्ञान होना चाहिए। नीचे सारणी में आपको ग्रह और राशि के साथ आधिकारिक वृक्ष की जड़ का विवरण दिया जा रहा है।

राशि ग्रह वृक्ष
मेष मंगल खदिर
वृष शुक्र गूलर
मिथुन बुध अपामार्ग
कर्क चंद्र पलाश
सिंह सूर्य आक
कन्या बुध अपामार्ग
तुला शुक्र गूलर
वृश्चिक मंगल खदिर
धनु गुरु पीपल
मकर शनि शमी
कुम्भ शनि शमी
मीन गुरु पीपल

नवग्रहों के वृक्ष की जड़े धारण करने की सम्पूर्ण विधि

पेड़ से जड़ लेने की प्रक्रिया आपको जिस ग्रह या नक्षत्र से संबंधित पेड़ की जड़ लेनी हो , उस ग्रह या नक्षत्र के आधिकारिक दिन से एक दिन पहले अर्थात मेष या वृश्चिक राशि हो तो उसके स्वामी मंगल की जड़ पहनने के लिए मंगलवार से एक दिन पहले सोमवार को वृष या तुला राशि हो तो उसके स्वामी शुक्र की जड़ पहनने के लिए शुक्रवार से एक दिन पहले गुरुवार को यदि मिथुन या कन्या राशि हो तो उसके स्वामी बुध की जड़ पहनने के लिए बुधवार से एक दिन पहले मंगलवार को,
यदि कर्क राशि हो तो उसके स्वामी चन्द्रमा की जड़ पहनने के लिए सोमवार से एक दिन पहले रविवार को , यदि सिंह राशि हो तो उसके स्वामी सूर्य की जड़ पहनने के लिए रविवार से एक दिन पहले शनिवार को, यदि धनु - मीन राशि हो तो स्वामी गुरु की जड़ पहनने के लिए गुरुवार से एक दिन पहले बुधवार को , यदि मकर - कुम्भ राशि हो तो उसके स्वामी शनि की जड़ पहनने के लिए शनिवार से एक दिन पहले शुक्रवार को , शुभ मुहूर्त देखकर उस वृक्ष के पास जाएँ और वृक्ष से निवेदन करें कि मैं आपके आधिकारिक ग्रह की शांति और शुभ फल प्राप्ति हेतु आपकी जड़ धारण करना चाहता हूँ , जिसे कल शुभ मुहूर्त में आपसे लेने आऊंगा। इसके लिए मुझे अनुमति प्रदान करें। इसके बाद अगले दिन उस ग्रह के वार को धूपबत्ती , जल का लोटा , पुष्प , प्रसाद आदि सामग्री लेकर शुभ मुहूर्त में उस वृक्ष के पास जाएँ और हाथ जोड़कर जल चढ़ाएं। फिर धूपबत्ती जलाकर पुष्प चढ़ाएं। उसके बाद प्रसाद का भोग लगाएं। फिर प्रणाम करके उसकी जड़ खोदकर निकाल लें। और घर ले आएं। जड़ धारण करने की विधि जड़ को घर लाकर शुभ मुहूर्त में भगवान के सामने आसन पर बैठ कर उसे पंचामृत और गंगाजल से धोकर धूपबत्ती दिखाकर उसके आधिकारिक ग्रह के मंत्र का यथा सामर्थ्य अधिक से अधिक या कम से कम एक माला का जाप करें। फिर उसे गले में पहनना हो तो ताबीज़ में डाल ले और हाथ पर बांधना हो तो कपड़े में सिलकर पुरुष दाएं हाथ में और स्त्री बाएं हाथ में बांध ले।थ में बांध ले।

- सौजन्य पंडित देव शर्मा

धारण करते समय निम्न मंत्र बोले

सूर्य

ॐ घृणि: सूर्याय नमः

चन्द्रमा

ॐ चं चन्द्र

मंगल

ॐ भौम भौमाय नमः

बुध

ॐ बुं बुधाय नमः

गुरु

ॐ गुं गुरुवे नमः

शुक्र

ॐ शुं शुक्राय नमः

शनि

ॐ शं शनये नमः

राहु

ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवेनम:

केतु

ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः

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Jyotish Acharya Pandit Shree Sharma Ji (Himachal wale)

राहुल एंटरप्राइज़ (A Unit of Rahul Enterprises) संस्थान द्वारा ज्योतिष के क्षेत्र में अध्ययन एवं शोध के क्षेत्र में कार्यरत ज्योतिष विद्वान, शिक्षण संस्थानों एवं स्वयंसेवी संस्थान के ज्योतिष दैवज्ञों हेतु आखिल भारतीय ज्योतिष Research centre तथा एस्ट्रोलोजिकल Institute की स्थापना कर इसी के अंतर्गत A Group of Swati Astrology Research Centre (Regd) की स्थापना की | एशिया महादेश सहित संसार के सर्वमान्य ज्योतिष दैवज्ञों से सहयोग लेकर तथा उन्हें शामिल किया | उपरोक्त कार्य विश्व कल्याणार्थ किये जायेंगे | ज्योतिष विज्ञान के प्रायोगिक अनुसंधानों को गति देने तथा गहन अनुसंधात्मक कार्यकर्मों के क्रियान्वयन हेतु कार्य करना|


ज्योतिषाचार्य पंडित श्री शर्मा जी (पूर्व रियासत अम्ब, हिमाचल प्रदेश के पंडित देवी दत्त राज ज्योतिषी के पड़पोते) को वैदिक ज्योतिष और वैदिक उपचारों में गहरा ज्ञान है।वह तीसरी पीढ़ी के ज्योतिषी हैं, जिनके पास वैदिक ज्योतिष में 42 वर्ष से अधिक का अनुभव है। उनकी विशेषज्ञता चिकित्सा ज्योतिष, रिश्ते, मैच मेकिंग, व्यवसाय और ग्रह शांति के लिए वैदिक उपचार और पौराणिक ग्रंथ / शास्त्रों के अनुसार वैदिक उपचार में है।
42 वर्ष अनुभव और 31 हजार परामर्श



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