प्राण प्रतिष्ठित / अभिमन्त्रित मोर का पंख
ज्योतिष और वास्तु की दृष्टि से प्राण प्रतिष्ठित/अभिमंत्रित मोर पंख को विशेष माना जाता है. श्री कृष्ण सिर पर मोर पंख पहने हुए हैं. ज्योतिष में मोर पंख का विशेष महत्व है. वास्तु की दृष्टि से मोर पंख शुभ होते हैं.ज्योतिष और वास्तु की दृष्टि से मोरपंख का विशेष महत्व है. मोर पंख की शुभता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे स्वयं भगवान कृष्ण ने अपने सिर पर धारण किया हुआ है. सावन के महीने में प्राण प्रतिष्ठित/अभिमंत्रितम मोर पंख का महत्व और भी बढ़ जाता है. धार्मिक मान्यता है कि मोर पंख ग्रह दोष और नेत्र दोष को दूर करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं. आइए जानते हैं सावन के महीने में प्राण प्रतिष्ठित/अभिमंत्रितम मोर पंख से जुड़े कौन से उपाय किए जाते हैं.
आर्थिक वृद्धि के लिए
आर्थिक वृद्धि के लिए प्राण प्रतिष्ठित/अभिमंत्रित मोर पंख का उपाय भी विशेष माना जाता है. मान्यता के अनुसार इसके लिए श्रीकृष्ण और राधा-रानी के मंदिर में मोर पंख की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद उस मोर पंख को धन स्थान या तिजोरी में रख दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि मोर पंख के इस उपाय से धन का प्रवाह बना रहता है. साथ ही फिजूलखर्ची पर भी नियंत्रण बना रहता है.
बुरी नजर दूर करने के लिए
ऐसा माना जाता है कि बुरी नजर के कारण काम भी बिगड़ने लगता है. साथ ही अनावश्यक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है. ऐसे में इससे बचने के लिए चांदी के ताबीज में प्राण प्रतिष्ठित/अभिमंत्रित मोर पंख डालकर रोज सिर में रखकर सोने से बुरी नजर नहीं लगती.
शत्रुओकोशांतकरनेकेलिए
मंगलवार के दिन प्राण प्रतिष्ठित/अभिमंत्रितम मोर पंख पर हनुमान जी के मस्तक पर सिंदूर लगाकर उस पर शत्रु का नाम लिखकर रात भर पूजा स्थल पर छोड़ दें. इसके बाद अगली सुबह उस प्राण प्रतिष्ठित/अभिमंत्रितम मोर पंख को पानी में प्रवाहित कर दिया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से शत्रु शांत हो जाते हैं।
कालसर्पदोषसेछुटकारा
अभिमंत्रित मोरपंख (सावन के महीने में नागपंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना /रुद्राभिषेक करके मोर पंख को योग्य ब्रह्मणों द्वारा प्राण प्रतिष्ठित/अभिमंत्रित किया जाता है ) जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उस व्यक्ति को अपने तकिए के कवर में यह अभिमंत्रित मोरपंख डालकर रखने चाहिए. ये उपाय करने से इस दोष से छुटकारा मिल जाता है. इस उपाय से जुड़ी एक धार्मिक किंवदंति के अनुसार श्री कृष्ण ने भी कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए अपने मुकुट में मोरपंख धारण किया हुआ था.