१०००८ मन्त्रों द्वारा अभिमंत्रित/energised नाव की कील की अंगूठी
१०००८ मन्त्रों द्वारा अभिमंत्रित/energised नाव की कील की अंगूठी का रहस्य।
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को क्रूर ग्रह माना जाता है, इसकी स्थिति से किसी भी व्यक्ति का पूरा जीवन प्रभावित होता है। शनि को न्यायधीश का पद प्राप्त है। यह हमें हमारे कर्मों का फल प्रदान करता है। जिस व्यक्ति के जैसे कर्म होते हैं उसी के अनुसार उन्हें फल की प्राप्ति होती है। शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के समय सबसे अधिक प्रभावी होता है।
१०००८ मन्त्रों द्वारा अभिमंत्रित/energised नाव की कील की अंगूठी का रहस्य।
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को क्रूर ग्रह माना जाता है, इसकी स्थिति से किसी भी व्यक्ति का पूरा जीवन प्रभावित होता है। शनि को न्यायधीश का पद प्राप्त है। यह हमें हमारे कर्मों का फल प्रदान करता है। जिस व्यक्ति के जैसे कर्म होते हैं उसी के अनुसार उन्हें फल की प्राप्ति होती है। शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के समय सबसे अधिक प्रभावी होता है।
सामान्तया साढ़ेसाती और ढैय्या के समय अधिकांश व्यक्तियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनसे बचने के लिए सबसे जरूरी है कि शनि देव की आराधना और धार्मिक कर्म करें।
शनि कृपा प्राप्ति के लिए एक सटिक उपाय बताया गया है नाव की कील। नाव की कील का छल्ला बनवाकर इसे मिडिल फिंगर में शनिवार के दिन पहनें। यह एक सटिक उपाय है। सावधानी- शनिदेव के छल्ले के साथ तांबे का छल्ला नहीं पहनना चाहिए |
शनि देव का प्रकोप किसी पर पड़ जाए तो उसका जीवन कष्टों से भर जाता है। व्यक्ति के अच्छे –बुरे कर्मों का फल शनि देव ही देते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप शनिदेव को प्रसन रखें और भक्ति भाव से उनकी पूजा करें। शनि देव का प्रकोप अत्यंत ही भयंकर परिणाम देता है।
नाव की कील की अंगूठी धारण करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। बिगड़े कार्य स्वत: ही बन जाते हैं। सभी परिणाम आपके पक्ष में आने लगते हैं।
लोहे की कील शनि की है । और जब यही कील नाव में लग जाती है तो कुछ और बन जाती है ।
चंद्र के पानी पर यह नाव तैरती है।
मंगल के कटाव बहाव को चीरती आगे बढ़ती है ।
शुक्र के त्रिकोण होते है नाव और कील में और राहु
राहु का ही तो है यह सारा समन्दर और जलीय जीव ।
यह समुद्री नांव की कील की अंगूठी (ring ) नीलम की तरह बेहद असरकारक है ।
नीलम भी इसके आगे कुछ नहीं ।
पर इसको निर्माण और धारण करने के कुछ विशेष विधि है । और जब यह सही ढंग से तैयार हो जाती है तो शुरुआत हो जाती है अपर्तक्षित सफलताएं और आश्चर्य जनक रूप से हर मुसीबत , किसी भी परेशानी और क्लेश से छुटकारा
आज शनिवार के दिन हम आपको बताते हैं शनिदेव को प्रसन करने का महा उपाय -:
इस समुद्री नाव की कील की अंगूठी शनिवार या शनि जयंती अथवा शनि अमावस्या के विशेष ऊर्जा काल के दिन बिना अग्नि मे तपाये बनाई जाती है।
इसे तिल् के तेल में 7 दिन शनिवार से शनिवार तक रखा जाता है तथा उस पर शनि मंत्र के 1008 जाप से सिद्ध तथा प्राण प्रतिष्ठित करके भेजा जाता है।
शनिवार के दिन शाम के समय इसे धारण करें। यह अंगूठी मध्यमा (शनि की अंगुली) में ही पहनें तथा इसके लिए पुष्य, अनुराधा, उत्तरा, भाद्रपद एवं रोहिणी नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ हैं।
धारण करने के बाद रुद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम 5 माला जप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें। यदि प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा।
आज शनिवार के दिन हम आपको बताते हैं शनिदेव को प्रसन करने का महा उपाय -:
इस समुद्री नाव की कील की अंगूठी शनिवार या शनि जयंती अथवा शनि अमावस्या के विशेष ऊर्जा काल के दिन बिना अग्नि मे तपाये बनाई जाती है।
इसे तिल्ली के तेल में 7 दिन शनिवार से शनिवार तक रखा जाता है तथा उस पर शनि मंत्र के 1008 जाप से सिद्ध तथा प्राण प्रतिष्ठित करके भेजा जाता है।
शनिवार के दिन शाम के समय इसे धारण करें। यह अंगूठी मध्यमा (शनि की अंगुली) में ही पहनें तथा इसके लिए पुष्य, अनुराधा, उत्तरा, भाद्रपद एवं रोहिणी नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ हैं।
धारण करने के बाद रुद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम 5 माला जप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें। यदि प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा।:-
1. यदि आपकी राशि में शनि अथवा राहु आ रहा है तो नांव के कील की अंगूठी धारण कर सकते हैं।
2. अगर आप साढ़ेसाती से ग्रस्त हो तो नांव के कील की अंगूठी धारण कर सकते हैं।
3. यदि आपकी राशि का अढैया चल रहा हो नांव के कील की अंगूठी धारण कर सकते हैं।
4. यदि आप शनि दृष्टि से ग्रस्त एवं पीड़ित हो तो नांव के कील की अंगूठी धारण कर सकते हैं।
5. यदि आप कारखाना, लोहे से संबद्ध उद्योग, ट्रेवल, ट्रक, ट्रांसपोर्ट, तेल, पेट्रोलियम, मेडिकल, प्रेस, कोर्ट-कचहरी से संबंधित हो नांव के कील की अंगूठी धारण कर सकते हैं।
6. यदि आप कोई भी अच्छा कार्य करते हो तो नांव के कील की अंगूठी धारण कर सकते हैं।
7. यदि आपका पेशा वाणिज्य, कारोबार में क्षति, घाटा, परेशानियां आ रही हों तो नांव के कील की अंगूठी धारण कर सकते हैं।
8. अगर आप असाध्य रोग कैंसर, एड्स, कुष्ठरोग, किडनी, लकवा, साइटिका, हृदयरोग, मधुमेह, खाज-खुजली जैसे त्वचा रोग से ग्रस्त तथा पीड़ित हो तो आप श्री शनिदेव के नांव के कील की अंगूठी धारण अवश्य कीजिए।
9. जो व्यक्ति बीमारी से ग्रसित हैं या जिन्हें बार-बार वाहन दुर्घटना का सामना करना पड़ रहा हैं, तो उन्हें नांव के कील की अंगूठी धारण करनी चाहिए, इससे रोग और दुर्घटना से निजात मिलेगी।
10. जिन जातकों को कड़ी मेहनत के बाद भी मनवांछित फल प्राप्त नहीं हो रहे हैं, उन्हें नांव के कील की अंगूठी धारण करना चाहिए तथा हर शनिवार अपने शरीर पर तेल की मालिश करनी चाहिए। इससे स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ रुके हुए काम भी बनने लगते हैं।
यदि आपकी कुंडली मे राहु अथवा केतु नीच राशि मे है, अशुभ स्थिति मे है तो राहु केतु की दशा अंतर दशा मे आपको नांव के कील की अंगूठी अवश्य धारण करना चाहिए।
धारण करने की विधि :- शनिवार को सायं अंगूठी को तिल के तेल में डुबोकर शनि के शांति मंत्र का (ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः) जाप करते हुए) धारण करना चाहिए .
इस कार्य के लिए गंगा/ सरयू नदी ( जिस नदी को बनवास जाते समय भगवान राम ने सीता माता एवं लक्ष्मण के साथ पार किया था केवट नाविक द्वारा ) मे चलने वाली नाव की कील की अंगूठी /छल्ला सर्वोतम है
हमारे द्वारा गंगा/ सरयू नदी पर चलने वाली नाव की कील की अंगूठी ही जागृत /activate की जाती है जिसे विशेष रूप से पण्डित जी द्वारा सरयू नदी से लाया जाता हैi