मंगल ग्रह के लिए १०००८ मंत्रों अभिमंत्रित/ enrgised खैरकी जड़/बूटी
राशि :- मेष एवं वृश्चिक ,स्वामी मंगल
वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, शौर्य का कारक होता है। मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है। यह मकर राशि में उच्च होता है, जबकि कर्क इसकी नीच राशि है। वहीं नक्षत्रों में यह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी होता है कुंडली में मंगल की स्थिति कमजोर हो तो व्यक्ति को बेवजह किसी भी बात पर गुस्सा आने लगता है और उसका स्वभाव चिढ़चिढ़ा हो जाता है. पीड़ित मंगल की वजह से जातक किसी भी नए काम की शुरुआत नहीं कर पाता है. हर काम में असफल रहने का भय बना रहता है. कुंडली में मंगल कमजोर होने से व्यक्ति ज्यादातर समय थका हुआ महसूस करता है. उसका आत्मविश्वास कमजोर होता है. पीड़ित मंगल की वजह से व्यक्ति को किसी दुर्घटना का सामना भी करना पड़ सकता है..इसके अलावा, जातक के मंगल के कमजोर होने से पारिवारिक जीवन में भी कई चुनौतियां आती है. जातक को शत्रुओं से पराजय, जमीन संबंधी विवाद, कर्ज़ आदि समस्याओं से गुजरना पड़ता है. कुंडली में मंगल पीड़ित हो तो व्यक्ति को रक्त संबंधी रोग होने की संभावना रहती है. विवाह में देरी और रुकावट कुंडली में अशुभ मंगल के सबसे हानिकारक प्रभावों में से एक है. अनंतमूल या खैरकी जड़ में मंगल ग्रह का वास होता है। यह १०००८ मंत्रों अभिमंत्रित/ enrgised जड़/बूटी मंगल के बुरे प्रभाव को कम करके, उससे संबंधित जो परेशानियां आ रही होती हैं उन्हें दूर करती है। मंगलवार के दिन गंगा जल से इस अभिमंत्रित energised जड़ी को पवित्र करें। “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सह भोमाय नमः” मंत्र का जाप करें। फिर जड़ी को लाल कपड़े में लपेट कर ताबीज बना कर सायंकाल अपनी दाहिनी भुजा में बाँध लें।