१००८ मन्त्रों द्वारा अभिमंत्रित /energised काले घोड़े की नाल
चमत्कारी तंत्र से कम नहीं है-काले घोडे की नाल*
*हमारे बुजुर्ग कहा करते थे.. घोडे पर सवार व्यक्ति पर कोई तंत्र नहीं चलता...*
* आधुनिक ज्ञानियों ने कभी सोचा क्यो नहीं चलता है...?*
* आगरा और दिल्ली के लाल किलों सहित करीब 25-30 ... अजेय किलों के गेट पर मैंने घोडे की नाल लगी ... स्वयं देखी है मुगल और हिन्दू दौनों सासकों द्वारा निर्मित किलों पर.... क्यों...?
* इन रहस्यमय प्रश्नों के उत्तर जानने के लिऐ.. इस लेख को पूरा पढें।।
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1-पहले समझें घोडे का वैज्ञानिक रहस्य और शक्ति....आधुनिक विज्ञान ने शक्ति को मापने के लिऐ... HP (हौर्स-पावर) को ही इकाई माना... हाथी, चीते, शेर, डाइनासोर तथा कंगारू जैसे ताकतवर अन्य किसी जीव को क्यों नहीं.....*
* कारण ये है कि जो अद्भुत शक्ती घोडे में होती है ... वो किसी भी स्तनधारी जीव में नहीं पायी जाती।।..*
1...घोडा आजीवन खडा रह सकता है... बैठकर या लेटकर आराम की आवश्यकता उसको नहीं होती।।*
2... घोडे की सैक्स-पावर आजीवन कभी खत्म नही होती.... समस्त प्राणियों से अदभुत सम्भोग- शक्ती का धनी होता है।।*
3 ... घोडे जैसी अदृश्य खतरों को भाँपने का सिक्स-सेंस शायद ही... अन्य किसी प्राणी में हो... घोडा काफी दूर से खतरे को भाँप कर ... रुक जाता है... और आगे नहीं बढ़ता... कहानियों में सुना होगा... ये सत्य है।।*
* ऐसी कई विचित्र.. शक्तियों से सम्पन्न होता है... घोडा (हौर्स) जो लिखना भी संभव नहीं है।*
- * आखिर घोडा में ऐसा क्या है जो ये शक्तियां प्राप्त हैं उसको...*
- * प्रत्येक प्राणी में ... शरीर के बाहर भी एक... तरंगों का आवरण होता है... जिसे हम..* *बॉडी लैस बॉडी-पावर... या ओज (ओरा शक्ती) के नाम से जानते है ।। और ये ही आवरण प्राणी-मात्र को ईश्वरीय शक्ती के रूप में... ब्रह्मांडीय ऊर्जा(कास्मिक एनर्जी) को ग्रहण करके कार्य-क्षमता का विकास करते हुऐ.... नकारात्मक (नेगेटिव)... ऊर्जाओं से रक्षा करता है.... और हमारी ऊर्जा को नष्ट होने से बचाता है।।... ये बॉडी लैस बॉडी-पावर... घोडे में सबसे अधिक पाई जाती है... इसीलिऐ घोडा अतभुत और ना थकने वाला प्राणी है।।*सायद आप HP (हौर्स-पावर) का रहस्य समझ गये होंगे।।
2- अब हम समझते है... घोडे नाल का रहस्य...*
* शरीर के चारौ-ओर बने ... तरंगों के आवरण का निर्माण हमारे तन से निकली विशेष तरंगें ही करती... कैसे:-*
* जब भी कोई .. जप, तप, योग, ध्यान या व्यायाम की क्रियाऐं करता है... तो हमारे शरीर के विधुतीकरण की प्रक्रिया तेज होने लगती है.. और विषेश प्रकार की विधुत- रशिमा हमारे कुछ अंगों जिसमे पैर नाखूनों से सबसे ज्यादा... बाहर की ओर तेजी से प्रवाहित होती हैं... और हमारे ही कुछ अंग चुम्बकीय तरीके से ... उन तरंगों को आकर्षित करके .. अपनी ओर खींचकर ... फिर शरीर में ही अवशोषित कर लेते हैं... इस पूरी प्रकिया में... ये तरंगों की काफी ऊर्जा.. नष्ट भी होती रहती है।... घोडा में ये क्रिया सर्वाधिक होती है.. जब वो तेजी से दौडता है... तो ये तरंगें.. तेजी से उसके पैरों से... निकलने की कोशिश करती है... "और वहाँ पर लगी लोहे की नाल.. दौडने के कारण जमीन के धर्षण से चुम्बक के रूप में परिवर्तित होकर... इन तरंगों को अवशोषित करती रहती है... और घोडे से प्राप्त असीमित एवं अदभुत शक्तियों का भंडार बनकर... ब्रह्मांडीय ऊर्जा (कौस्मिक-एनर्जी)... को आकर्षित करने की अकूत और अदभूत शक्ती का भंडारण करने की क्षमता पा लेती है..... "घोडे की नाल"...।। और हमारे मानव शरीर या वातावरण में ब्रह्मांडीय-शक्ती को प्रदाय करने में सर्वाधिक सहयोगी होती है।।... *यही है घोडे की नाल की चमत्कारी शक्ती का वैज्ञानिक रहस्य... जो हमारे प्राचीन महार्षियों ने सदियों पहले ही... समझ लिया था.. और काले घोडे की नाल... का उपयोग... मानव को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने... एवं शक्ती-सम्पन्न बनाऐ रखने के लिऐ... एक तंत्र के रूप में... करना शुरु कर दिया था।।*
* कुछ सावधानियां नाल को सही उपयोगी... बनाए रखने के लिऐ ...*
* घोडे की नाल से... छल्ला(रिंग) अथवा कोई भी सामग्री निर्माण के समय साधारण अग्नि से गर्म नहीं करना चाहिऐ... वरना उसकी... चुम्बकीय शक्ती नष्ट हो जाती है और सिर्फ लोहा (आयरन) ही बचता है।।*
* नाल या इससे निर्मित सामान को ... भूलकर भी कभी चुम्बक के पास नहीं.. रखना चाहिए... वरना इसकी मूल शक्ती क्षीण हो जाती है।।*
* इससे सामग्री निर्माण का सही तरीका और समय*
*जब भी काले घोडे की नाल से छल्ला, यंत्र, कीलें आदि बनानी हो.... तो*
* शनिवार को.. शनि-नक्षत्र में.... शनी यज्ञ की.. समस्त औषधियों की समीधा व हवन-सामग्री और काली गाय के सूखे गोवर.. शनि मंत्रों से हवन करके.... उस में ही गर्म करके ही.... निर्माण करना चाहिऐ.... तभी इनका सही लाभ प्राप्त होगा.... और चमत्कारी शनि रिंग या सामान तैयार होगा।।*
* इस तरह तैयार घोडे की नाल, कीलें, या रिंग के लाभ*
* शनिदेव के अशुभ प्रभावों की शांति हेतु लोहा धारण किया जाता है किन्तु यह लौह मुद्रिका सामान्य लोहे की नहीं बनाई जाती*
.काले घोडे की नाल (घोडे के पैरों खुरों में लोहे की अर्धचन्द्राकार वस्तु पहनाई जाती है, जो घोडे के खुरों को मजबूत बनाये रखती है, घिसने नहीं देती, वही नाल होती है), जो नाल स्वत: ही घोडे के पैरों से निकल गयी हो या दो तिहाई से अधिक घिस गयी हो,.... उस नाल को शनिवार को सिद्घ योग ( शनिवार और पुष्य, रोहिणी, श्रवण नक्षत्र हो अथवा चतुर्थी, नवमी या चतुर्दशी तिथि हो) में प्राप्त की जाती है और फिर इसका उपयोग विविध प्रकार से किया जाता है.*