१०००८ मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित पवित्र पलाश
राशि :- कर्क-राशि ,स्वामी-चन्द्र
भारत में विभिन्न प्रकार के वृक्षों का बहुत अधिक महत्व रहा है। ये वृक्ष हमारे जीवन के शारीरिक व मानसिक पक्षों को भी प्रभावित करते है। इन्ही वृक्षों में पलाश भी एक महत्वपूर्ण पेड़ माना जाता है। इस वृक्ष का धार्मिक अनुष्ठानों में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस वृक्ष में ब्रहमा, विष्णु, महेश, इन तीनों देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। पलाश का उपयोग ग्रहों की शान्ति में किया जाता है। इसलिये यह वृक्ष हमारी विभिन्न समस्याओं का समाधान करने मे लाभप्रद रहेगा।
(इस अभिमंत्रित पलाश की जड़ को शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को शुक्र के नक्षत्र मैं लाया गया है । इसे स्वच्छ जल से साफ करने के बाद पश्चात गंगाजल/ गोमूत्र से छींटे मारकर स्वच्छ करके उसके उपर बाजोट रखकर , बाजोट पर लाल रेशमी कपड़ा विछाकर ।बाजोट के बीच में 7 प्रकार अनाज रख कर देशी गो माता के घी का दीपक एवं धूप जलाकर लक्ष्मी जी के मन्त्र की ११००० का जाप करने के बाद हवन द्वारा जागृत किया गया है
पलाश की इस अभिमंत्रित जड़ को शुभ मुहूर्त में किसी रविवार के दिन में इसे एक सूती धागे में लपेट कर दाहिनी भुजा में बांधने से किसी भी प्रकार ज्वर दूर हो जाता है।
इस अभिमंत्रित जड़/फूल/पत्ते को एक लाल कपड़े में बांधकर अपने गल्ले या धन रखने के स्थान पर रख दें। मां लक्ष्मी की कृपा से आपकी आर्थिक समस्यायें धीरे- धीरे दूर होकर आर्थिक सम्पन्नता आ जायेगी।